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भूल गई हूं आज कल खुद को, मुझे मेरा कुछ ध्यान नही र

भूल गई हूं आज कल खुद को,
मुझे मेरा कुछ ध्यान नही रहता।
करना चाहती हूँ कुछ , करती हूँ कुछ ,
अब अपना कुछ भान नही रहता।
यक क्या कर दिया तूने मुझ पर,
मुझे अब अपना कोई काम ,
अब याद नही रहता।
करती हूं दी..से अक़सर प्रॉमिस,
आज से मोबाइल से कट्टी।
लेकिन अब मेरी प्रॉमिस में,
 अब वो जान नही रहता।
माँ डांट कर अकसर कहती है।
क्यो मोबाइल में इतना लगी रहती है ,
आंखे खराब हो जाएगी तेरी
बहुत समझा कर कहती है।
अब तो खाते समय भी ,
कमेंट्स और लाइक के अलाबा ।
अब कुछ भी ध्यान नही रहता।

✍️रिंकी





 भूल गई हूं आज कल खुद को,
मुझे मेरा कुछ ध्यान नही रहता।
करना चाहती हूँ कुछ , करती हूँ कुछ ,
अब अपना कुछ भान नही रहता।
यक क्या कर दिया तूने मुझ पर,
मुझे अब अपना कोई काम ,
अब याद नही रहता।
करती हूं दी..से अक़सर प्रॉमिस,
भूल गई हूं आज कल खुद को,
मुझे मेरा कुछ ध्यान नही रहता।
करना चाहती हूँ कुछ , करती हूँ कुछ ,
अब अपना कुछ भान नही रहता।
यक क्या कर दिया तूने मुझ पर,
मुझे अब अपना कोई काम ,
अब याद नही रहता।
करती हूं दी..से अक़सर प्रॉमिस,
आज से मोबाइल से कट्टी।
लेकिन अब मेरी प्रॉमिस में,
 अब वो जान नही रहता।
माँ डांट कर अकसर कहती है।
क्यो मोबाइल में इतना लगी रहती है ,
आंखे खराब हो जाएगी तेरी
बहुत समझा कर कहती है।
अब तो खाते समय भी ,
कमेंट्स और लाइक के अलाबा ।
अब कुछ भी ध्यान नही रहता।

✍️रिंकी





 भूल गई हूं आज कल खुद को,
मुझे मेरा कुछ ध्यान नही रहता।
करना चाहती हूँ कुछ , करती हूँ कुछ ,
अब अपना कुछ भान नही रहता।
यक क्या कर दिया तूने मुझ पर,
मुझे अब अपना कोई काम ,
अब याद नही रहता।
करती हूं दी..से अक़सर प्रॉमिस,