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किसी के टूटने पर जो टूट गई पंखुड़ियां ही तो थी जो

किसी के टूटने पर जो टूट गई
पंखुड़ियां ही तो थी 
जो धीरे-धीरे बिखर रही थी
तुम्हारी ही जैसी 
कुछ हालत थी ऐसी
सूख कर यूँ ही
अपने शाख से झड़ रही थी
कुचलते हुए चलते है 
जिन पर लोग 
आज स्वागत में 
किसी पर गिर रही थी
मुस्कुराते हुए वो लोग दिखे
मगर वो सहमी हुई पंखुड़ियां डर रही थी
रोते हो तो बिखर जाती है
मुस्कुराते हो तुम तो सम्भल जाती हैं
उसकी इक्षा किसी ने पूछी क्या
वो तो तुम्हारी इक्षा से चल रही थी
✍️रिंकी





 #तन्हा #गुलाबज़िन्दगी #गुलाब #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यकज़िन्दगी
किसी के टूटने पर जो टूट गई
पंखुड़ियां ही तो थी 
जो धीरे-धीरे बिखर रही थी
तुम्हारी ही जैसी 
कुछ हालत थी ऐसी
सूख कर यूँ ही
अपने शाख से झड़ रही थी
कुचलते हुए चलते है 
जिन पर लोग 
आज स्वागत में 
किसी पर गिर रही थी
मुस्कुराते हुए वो लोग दिखे
मगर वो सहमी हुई पंखुड़ियां डर रही थी
रोते हो तो बिखर जाती है
मुस्कुराते हो तुम तो सम्भल जाती हैं
उसकी इक्षा किसी ने पूछी क्या
वो तो तुम्हारी इक्षा से चल रही थी
✍️रिंकी





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