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'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलि

   'मौत की ख़बर'
ये कौन सा शहर आ गया 
ये कौन सी गलियाँ आ गई।
अजनबी सी क्यों लग रही ,
ये धुंध कैसी छा गई।
रास्ते अपरिचित है नज़र
 गली तुम्हारी  वो कहाँ गई
बरस बीत गए आँखों में नमी,
है सिकन की एक रेखा आ गई।
है खंडहर सी पड़ी ये दीवारें,
संग रंग सारे बिखरा गई।
तुम नहीं मिले कहीं,वो घर तुम्हारा
एक ताला देख मन भरमा गई।
किसी उम्मीद में कि तुम मौजूद होंगे,
नामौजूदगी तुम्हारी वहाँ समा गई।
कि उल्टे कदम लौट आने लगे,
तभी मौत की तुम्हारी खबर आ गई।

©दीपा साहू "प्रकृति"
    #Prakriti_ #deepliner #poetry #love #SAD  #you hj
 'मौत की ख़बर'
ये कौन सा शहर आ गया 
ये कौन सी गलियाँ आ गई।
अजनबी सी क्यों लग रही ,
ये धुंध कैसी छा गई।
रास्ते अपरिचित है नज़र
 गली तुम्हारी  वो कहाँ गई

#Prakriti_ #deepliner #Poetry love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुंध कैसी छा गई। रास्ते अपरिचित है नज़र गली तुम्हारी वो कहाँ गई

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