मेरे महकमे का समाॉं मुझसे पूछो, ज़िंदगी की लिखी दास्ताँ मुझसे पूछो, पीछे रहकर भी आगे निकल गया है जो, पल में दौड़ता वो कारवां मुझसे पूछो, रंग सारे समेटकर मेरी ज़िंदगी के, सफ़ेद रह गया जो आसमां मुझसे पूछो, खुल कर आ जाएगा तुम्हारे सामने एकदम, मेरी ही ज़िंदगी का बयां मुझसे पूछो, जो मुझे पीछे से भी नहींं सुहाता था, कैसे हो गया वो शख्स मेहेरबाँ मुझसे पूछो, मेरे महकमे का समाॉं मुझसे पूछो, ज़िंदगी की लिखी दास्ताँ मुझसे पूछो! ©Rangmanch Bharat #nojoto #nojotohindi #merizindagi #nojotohindipoetry #hindi_poetry #hindi_shayari #Quotes #nojotoshayari #rangmanchbharat #Shayari