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जीते जी मुझको कोई ख्वाब नही आता आंखों में नींदों क

जीते जी मुझको कोई ख्वाब नही आता
आंखों में नींदों का कोई हिसाब नही आता

वो समझता है और बस यूंही छोड़ देता है
इस दिल को भी कोई दिमाग नही आता

मैने खत लिखे व्हाट्सएप के जमाने में
वो ऑनलाइन है मगर जवाब नही आता

©Abhinav Gupta जीते जी मुझको कोई ख्वाब नही आता
आंखों में नींदों का कोई हिसाब नही आता

वो समझता है और बस यूंही छोड़ देता है
इस दिल को भी कोई दिमाग नही आता

मैने खत लिखे व्हाट्सएप के जमाने में
वो ऑनलाइन है मगर जवाब नही आता
जीते जी मुझको कोई ख्वाब नही आता
आंखों में नींदों का कोई हिसाब नही आता

वो समझता है और बस यूंही छोड़ देता है
इस दिल को भी कोई दिमाग नही आता

मैने खत लिखे व्हाट्सएप के जमाने में
वो ऑनलाइन है मगर जवाब नही आता

©Abhinav Gupta जीते जी मुझको कोई ख्वाब नही आता
आंखों में नींदों का कोई हिसाब नही आता

वो समझता है और बस यूंही छोड़ देता है
इस दिल को भी कोई दिमाग नही आता

मैने खत लिखे व्हाट्सएप के जमाने में
वो ऑनलाइन है मगर जवाब नही आता