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हक दे कभी मुझे इतना। मै तुम्हे अपना कह सकूं। छोड़

हक दे कभी मुझे इतना।
मै तुम्हे अपना कह सकूं।
छोड़ के सारी दुनिया ,
तेरे दिल में रह सकूं।
तेरी खुशियों पर हक हो मेरा।
तेरे गम पर भी हक मेरा हो।
तू पलके झपके तो शाम ढले।
आंखे खोले तो सवेरा हो।
तेरा गुस्सा भी मुझ पर हो।
तेरा प्यार भी मेरे हिस्से आए।
जब बात हो कभी महोब्बत की।
तेरे मेरे ही किस्से आए।
एक बार फिर से,
 प्यार की नदी में उतर तू।
ताकि तेरे संग मै बह सकूं।
हक दे कभी मुझे इतना।
मै तुम्हें अपना कह सकूं।
छोड़ के सारी दुनिया।
तेरे दिल में रह सकूं।
ताहिर।।।

©TAHIR CHAUHAN
  #Gulaab#hak