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अधूरा सच ताला ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, जब त

अधूरा सच ताला
ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, 
जब तुझसे मैं मिला था।
आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में,
पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था।
अब आरजू दिल से मिटाने लगी है। 
आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था।
इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा,
इख्त़ियार मेरा है,अब तेरा "ज़िक्र नहीं करूंगा"
इन्तिज़ाम-ए-टोटका दिल पर करा रखा है।
जब मैं तुझसे मिला था,
तू मसरूफ़ रहा अपनी ज़िन्दगी में,"नाज़िम"
हमने भी अपने दिल पर,
पहली मोहब्बत का ताला लगा रखा है। ताला
#ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, 
जब तुझसे #मैं मिला था।
#आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में,
पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था।
अब #आरजू दिल से मिटाने लगी है। 
#आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था।
#इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा,
अधूरा सच ताला
ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, 
जब तुझसे मैं मिला था।
आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में,
पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था।
अब आरजू दिल से मिटाने लगी है। 
आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था।
इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा,
इख्त़ियार मेरा है,अब तेरा "ज़िक्र नहीं करूंगा"
इन्तिज़ाम-ए-टोटका दिल पर करा रखा है।
जब मैं तुझसे मिला था,
तू मसरूफ़ रहा अपनी ज़िन्दगी में,"नाज़िम"
हमने भी अपने दिल पर,
पहली मोहब्बत का ताला लगा रखा है। ताला
#ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, 
जब तुझसे #मैं मिला था।
#आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में,
पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था।
अब #आरजू दिल से मिटाने लगी है। 
#आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था।
#इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा,
khnazim8530

Kh_Nazim

New Creator

ताला #ख्वाइशों का समंदर बढ़ने लगा था, जब तुझसे #मैं मिला था। #आब-ए-चश्म न सालों से दिखा था दिल में, पर अब दिखने लगा था,जब मैं तुझसे मिला था। अब #आरजू दिल से मिटाने लगी है। #आशुफ़्ता-ए-जुर्म में, जब मैं तुझसे मिला था। #इख्लास-ए-बेबफा से इज़हार नहीं करुगा, #मोहब्बत #कविता #ज़िक्र #मसरूफ़ #khnazim #इन्तिज़ाम