बहुत, दूर दिखाई देती है मंजिल जब आखिर तक नजर जाती है उतार चढ़ाव के पहाड़ देखकर आशायें दुबक कर सो जाती हैं पर उम्मीद जगाता सँकरा रास्ता अंदर का हौसला बढ़ा जाता है अंतर आत्मा के कानों में कुछ ताने सा ये कह जाता है "के कब तलक बैठोगे - किस्मत पर हाथ धरे यहाँ" उठो, अब आगे चला जाता है 🍁विकास कुमार🍁 उम्मीद जगाता सँकरा रास्ता...