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vikaskumarchoura7706
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Vikas Kumar Chourasia

ख़ामोशी

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Vikas Kumar Chourasia


अच्छा हो या बुरा!
सब अस्थायी है
स्थिर कुछ भी नहीं,

बस ऐसी ही कुछ बात
ये भी है, कि
तुम्हारे वक्त और हालातों के साथ
ये दुनिया,
रातों रात बदलती है
      🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
  #khamoshi ख़ामोशी

#Khamoshi ख़ामोशी

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Vikas Kumar Chourasia

Jai shree ram संघर्ष करे, पीछे ना हटे 
तब जा कर ये परिणाम मिला
कुर्बान हुए, कई वीर सपूत 
तब जा कर शुभ स्थान मिला
    🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
  #JaiShreeRam
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Vikas Kumar Chourasia

#Shriramjanmbhumi
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Vikas Kumar Chourasia

बहुत बारीकीयों से,
नज़र रखनी पड़ती है

खूबसूरत वादियों की
दिल से,
कदर करनी पड़ती है

इन्हीं में तो छुपा है,
एक समंदर सुकून का

हम ज़िंदा हैं या मुर्दा

समय-समय पर
खबर,
इसकी भी रखनी पडती है
  🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
  #Khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia


ज़ब लाठी की अवस्था में
पहुँच जाऊँगा

याद करुँगा गुजरे लम्हें
तरह-तरह से गले लगाऊँगा

आँखों की दीवारों पर
भूले-बिसरे चित्र सजाऊँगा

मधुर सुनहरे पलों को चखकर 
मीठे फलों सा लुफ्त उठाऊँगा

ढेर लगाकर यादों की 
मन के आँगन में भी बिखराऊँगा 

खोया क्या और पाया क्या 
इसका सही हिसाब लगाऊँगा

तब याद करुँगा, सब फुर्सत से

ज़ब लाठी की अवस्था में
पहुँच जाऊँगा
    🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
  #khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia

या यूँ कहें
कुछ सवालों का जवाब नहीं होता

कब, कैसे, कहाँ 
इसका हिसाब नहीं होता

घट जाती हैं, जिंदगी में
कुछ चीजें खुद-ब-खुद

इन पर किसी का
अधिकार नहीं होता

इनका कोई
गुनहगार नहीं होता
🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia
  #Khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia

हटा नहीं
डरा नहीं
बस यूँ समझ,
लड़ा नहीं

थका नहीं
झुका नहीं
बस यूँ समझ,
लड़ा नहीं

हार मैंने मान ली
ना ये समझ हरा दिया

स्वभाव से तो रौद्र था
बस खुद को ही बुझा दिया
अब खुद को ही बुझा दिया 
   🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia

ये जंगल, ये पहाड़
बहती नदियाँ, गिरते झरने

"सुकून बहुत देता है"

अब तुम कहोगे, ये सब
कुछ दिन का ही है

हाँ, जो भी हो 
"सुकून बहुत देता है"

ज़ब-ज़ब इनके करीब जाता हूँ
कोई अपना सा मुझे खींचता है

ज़ब-ज़ब वहाँ से उठ के आता हूँ
ऐसा लगता है, उधड़ रहा हूँ

अब तुम कहोगे, ये सब
कुछ दिन ही अच्छा लगता है

हाँ, जो भी हो 
पर "सुकून बहुत देता है"
 🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia

शीर्षक- खुले आकाश में (लोरी)
लेखक- विकास कुमार चौरसिया
जबलपुर म.प्र. 

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

वहाँ तारे झिलमिलाते, अंधेरों के साथ में
हमको भी सिखलाते, कैसे खिलते हैं रात में
डरना कभी ना, विश्वास खुद पे रखना
नाज़ तुझपे दुनिया करे, ऐसी राह चलना

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

सूरज की रोशनी, एक तेज़ हम पे भरती है
दूसरों की ख़ातिर ही रोशनी बिखरती है
तुमको भी सेवा, ऐसी ही कुछ करनी है
मनुष्य की ये ज़िंदगी, इसलिये तो मिलती है

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

चाँद की शीतलता भी, हमसे ये कहती है
रहना तुम भी शीतल से, राह चाहे जैसी हो
संसार के समंदर में, ठहराव रखना सीख लो
निष्काम भाव से तुम, सब काम करना सीख लो

आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में
सारी दुनिया से दूर, नये आकाश में
आ तुझे ले चलूँ खुले आकाश में

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी
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Vikas Kumar Chourasia

पतझड़ आने पर, ये हरे-भरे जंगल
श्मशान नज़र आते हैं

अँधेरी रातों में, दौड़ते-भागते रास्ते
सुनसान नज़र आते हैं

उड़ चले हैं पंछी, अपने आसियाँ छोड़ कर 
अब सारे घोंसले गुमनाम नज़र आते हैं

और धुंधला चुकी है भीड़ में, मेरी पहचान इस तरह 
के मानो
हम अपने ही घर में, मेहमान नज़र आते हैं
           🍁विकास कुमार🍁

©Vikas Kumar Chourasia #Khamoshi_ख़ामोशी
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