दुवाएँ देते रहिए क्योंकि जो चीज हम, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष माध्यम से दूसरों तक पहुचाते है, वही ब्रम्हाण्ड से लौटकर हमारे पास आती है। फिर चाहे वह दुवाएँ हो, या फिर किसी के प्रति घृणा । कविता जयेश पनोत. #सकारात्मक विचार