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रणभूमि में खड़े हुए रश्मिरथी ये देख रहे , किसको मार

रणभूमि में खड़े हुए रश्मिरथी ये देख रहे ,
किसको मारु किसको छोड़ू अंतरमन में सोच रहे ,
प्राण लिए अगर किसी का, अपना ही मारा जाएगा ,
छोड़ दिया अगर किसी को ,तो दुर्योधन हारा जाएगा ,
किसको मारु किसको छोडू ,मन में ये संघर्ष लिए ,
खींच प्रत्यंचा रणभूमि में, रश्मिरथी है खड़े हुए ,
उनके साथ स्वयं योगेश्वर ,दुर्योधन के साथ बचा हु मै 
खातिर केवल मित्र धर्म के, कुरुक्षेत्र में खड़ा हु मै ,
होगी युद्धभूमि में जय, तब तक खड़ा रहुगा मै ,
काल भी देखेगा मुझको, जब विजय धनुष से लडूगा मैं ,
जीत करू मैं दुर्योधन की, मित्रधर्म निभाऊंगा ,
आ गए यदि सुदर्शन धारी ,उनसे भी लड़ जाऊगा ,
एतना सोच कौन्तेये समर में ,प्रत्यंचा को खींच दिया ,
रक्त अश्रु से भरे बाण को, पार्थ के सम्मुख मोड़ दिया

©Shepandra
  #Suryaputra karn
shepandra5631

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