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एक राह मिली अनजानी सी गलियां थी कुछ जानी सी चलते

एक राह मिली अनजानी सी
 गलियां थी कुछ जानी सी

चलते-चलते ख्याल आया
 छोड़े कुछ अपनी निशानी भी 

कहीं मंजिलों का खौफ 
तो कहीं रूह बनी मस्तानी सी

नाम मिले या  मिले पहचान
जिंदगी तो जिंदादिली से बितानी थी

सबकी सुनी कहानी
अब अपनी एक कहानी बनानी थी

भीड़ देख  खौफ की अगवानी सी
हिम्मत हौसलों ने भी जिद्द ठानी थी

एक राह मिली अनजानी सी
गलियां थी कुछ जानी सी *****!

©kanchan Yadav
  #हौसले