चलो खुश हो लो तुम, नहीं दूँगी मैं उलाहना कोई,
न पूछुंगी कोई प्रश्न कि क्यूँ मन की बात बतायी नहीं।
न आज,याद दिलाऊंगी कि अंतिम बार कब थी रोयी,
न कहूँगी तुम्हें ढूंढ लाने को,मानवता की मुस्कान खोयी।
मैं नहीं समझ पाती जटिल विचारों में उलझी विद्वता,
और गूढ दर्शन,
इतना ही जान पाती हूँ कि ये ख्यालों की खुरचन है,
बिना समझे जीवन के साथ मुस्कुराने में अड़चन है। #जरूरत#yqbaba#yqdidi