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उम्मीद एक उम्मीद बार- बार आकर अपने टुकड़े तलाश क

उम्मीद 
एक उम्मीद बार- बार आकर 
अपने टुकड़े तलाश करती है।

बसे शहर में  बार-बार आकर,
गाँव की वह नौकरानी रहती है।

कभी कर्जों में खुद को डुबाकर,
उसकी दुकान रुक-रुक चलती है।

बीमार बापू के अस्पताल का बिल चुकाकर,
बेटी बेटे का रूप धरती है।

किस्मत आपना पासा फेंककर, 
हर एक को ज़रा-ज़रा आज़माती है।
कभी उम्मीद जगाकर, कभी मिटाकर,
ब्लॉकबस्टर ट्विस्ट के साथ चलाती है।।









 #restzone #rztask185 #rzलेखकसमूह
उम्मीद 
एक उम्मीद बार- बार आकर 
अपने टुकड़े तलाश करती है।

बसे शहर में  बार-बार आकर,
गाँव की वह नौकरानी रहती है।

कभी कर्जों में खुद को डुबाकर,
उसकी दुकान रुक-रुक चलती है।

बीमार बापू के अस्पताल का बिल चुकाकर,
बेटी बेटे का रूप धरती है।

किस्मत आपना पासा फेंककर, 
हर एक को ज़रा-ज़रा आज़माती है।
कभी उम्मीद जगाकर, कभी मिटाकर,
ब्लॉकबस्टर ट्विस्ट के साथ चलाती है।।









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