बसंत दिया बसंत ने दस्तक गर्वित धरा का मस्तक नव तरु पल्लव आए रूप हुआ मनमोहक खिल उठे पुष्प बहुतेरे चहुंओर लता को घेरे ऐसा लगता धरती को रंगों से रंगें चितेरे कोयलें गीत है गाती धुन उनकी मन हर्षाती भौरे मृदंग ले करके आए बन कर बाराती बेखुद उत्सव कोई आया या है वसंत की माया सज गई धरा दुल्हन सी आकाश देख ललचाया ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बसंत_ऋतु