मैं मर्द होने पर शर्मिंदा हूँ... अपनी सैकड़ों माँ बहनों के, आँचल पर दाग लगाने वाला सबसे ख़ौफनाक परिंदा हूँ... एक मासूम, निर्दोष और, निर्बल शरीर को नोचने वाला, मैं सबसे ख़तरनाक दरिंदा हूँ... काश की तेरी कोख में ही, हर मर्द मर गया होता, या फिर इस मर्द नामक जीव, जन्म ही ना हुआ होता... मैं अपनी सारी उम्र, मर्द होने पर शर्मिंदा रहूँगा... फिलहाल तो मैं, कुछ कर नही सकता, पर अगले जन्म में, मैं मर्द ना बनूँगा... मैं मर्द होने पर शर्मिंदा हूँ... अपनी सैकड़ों माँ बहनों के, आँचल पर दाग लगाने वाला सबसे ख़ौफनाक परिंदा हूँ... एक मासूम, निर्दोष और, निर्बल शरीर को नोचने वाला, मैं सबसे ख़तरनाक दरिंदा हूँ... काश की तेरी कोख में ही,