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बात औरों की हम नहीं करते। बगावत इश्क से नहीं करते

बात औरों की हम नहीं करते।
बगावत इश्क से  नहीं करते।

कोई बेवफा कहे मंजूर नहीं,
 तौहीन जमीर की नहीं करते।

साथ आइने का कोई दे न दे,
सच ढककर हम नहीं रखते।

बात में वजन भी परखते हैं,
कसीदे झूठ के नहीं  पढ़ते।

कुछ तो वजह हो अदावत की,
बेसबब सितम हम नहीं करते।

उसूल कुछ तो हो कुर्बानी की ,
शहादत पर सियासत नहीं करते।

जिक्र होती है जब जफाओं की,
दिल से नजरें इनायत नहीं करते।

अमन के हाथ जहां तउठते हैं,
बेअदब हिमाकत  नहीं करते।

कशमकश जिंदगी की चलती हो,
विह्वल बेजा शरारत नहीं करत

©purvarth #बाते
बात औरों की हम नहीं करते।
बगावत इश्क से  नहीं करते।

कोई बेवफा कहे मंजूर नहीं,
 तौहीन जमीर की नहीं करते।

साथ आइने का कोई दे न दे,
सच ढककर हम नहीं रखते।

बात में वजन भी परखते हैं,
कसीदे झूठ के नहीं  पढ़ते।

कुछ तो वजह हो अदावत की,
बेसबब सितम हम नहीं करते।

उसूल कुछ तो हो कुर्बानी की ,
शहादत पर सियासत नहीं करते।

जिक्र होती है जब जफाओं की,
दिल से नजरें इनायत नहीं करते।

अमन के हाथ जहां तउठते हैं,
बेअदब हिमाकत  नहीं करते।

कशमकश जिंदगी की चलती हो,
विह्वल बेजा शरारत नहीं करत

©purvarth #बाते