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धुल जाये विफलताओं का दाग, ऐसा निरमा कोई चमकदार मि

धुल जाये विफलताओं का दाग, 
ऐसा निरमा कोई चमकदार मिले। ।
उठा सकूँ मजबूरियों का हर बोझा, 
कंधा ऐसा दमदार मिले। ।
टकरा जाऊँ हर तूफ़ाँ से, 
ऐसी शक्ति अपार मिले। 
झुक जाये किस्मत समक्ष अपने, 
धधकती ज्वाला बारम्बार मिले। ।
डगमगा ना जाऊँ अड़चनों से, 
भले रास्ते में मौत का हाहाकार मिले। ।
बिखेर सकूँ अपनी चमक इस धुन्ध में, 
ऐसा हथियार धारदार मिले। 
फैला सकूँ जीवन में ज्योति सबके, 
लोगों से ऐसा प्यार मिले। ।
बिखर न जाऊँ इक झरोखे में, 
हंसता ऐसा संसार मिले। ।
written by 
संतोष वर्मा। ।azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #Arzu