लिखने की ख़्वाहिश रखता हूं लेकिन कुछ लिख ना पाता हूं
दिल की बातें मैं क्यों आखिर काग़ज़ पर रख ना पाता हूं
ना आलिम हूं ना फाज़िल हूं, ना इस महफिल के क़ाबिल हूं
ख़ुद अपनी नज़रों में भी तो मैं ना-शाइस्ता, जाहिल हूं
तारों से भरी इन बज़्मों में आने से मैं कतराता हूं
मक़बूल सुखनवर-शायर हैं कितने इस रोशन महफिल में #Poetry#Song #Best#Hindi#writing#Shayari#urdu