मैं इस दुनिया मे पहले भी कई बार अवतरित हो चुका हूँ और आगे भी यही उम्मीद है कि मुझे इसी गृह पर बार बार उतारा जाएगा ... क्योंकि मेरा इस धरती और इस दुनिया. से पुश्तैनी सम्बन्ध रहा है वैसे ही जैसे किसीपुरानी छत पर जमी गाड़े काले रंग की काई..... या फिर उस ऐतिहासिक बोधि वृक्ष की तरह जो पिछलेपांच हज़ार वर्षो से. उसी जगह पर अडिग सा खड़ा है अपनी और बुद्ध की साख की शांशाश्वतता को आज तक बनाये हुए ©Parasram Arora अवतरण.......