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भींगी हुई है पलकें आँखों से आँसू छलके सफर है अनजान

भींगी हुई है पलकें
आँखों से आँसू छलके
सफर है अनजाना
हमसफर भी है अनजाना
पर अब तो वही है मंज़िल वही है ठिकाना
वो चिड़ियाँ जो अल्हड़ सी थी
इस दुनिया से बेख़बर 
बेबाक सी थी
अब उसे कहीं दूर है जाना
घर छोड़ बाबुल का 
अब अपना जहाँ कहीं और है बसाना
नए रिश्तों के मिलने की खुशी भी है
तो अपनों से दूर जाने का गम भी
होंठों पे मुस्कान भी है
तो आँखे है थोड़ी नम भी
पर जाना तो उसे होगा
अपना नया घरौंदा सजाना तो उसे होगा
ना जाने ये कैसी रीत है बनाई
क्यूँ होती है ये बेटीयाँ पराई।। #बेटियाँ #पराई #बाबुल_का_घर 
#yqdidi #yqdiary #yqlife #yqlifequotes
भींगी हुई है पलकें
आँखों से आँसू छलके
सफर है अनजाना
हमसफर भी है अनजाना
पर अब तो वही है मंज़िल वही है ठिकाना
वो चिड़ियाँ जो अल्हड़ सी थी
इस दुनिया से बेख़बर 
बेबाक सी थी
अब उसे कहीं दूर है जाना
घर छोड़ बाबुल का 
अब अपना जहाँ कहीं और है बसाना
नए रिश्तों के मिलने की खुशी भी है
तो अपनों से दूर जाने का गम भी
होंठों पे मुस्कान भी है
तो आँखे है थोड़ी नम भी
पर जाना तो उसे होगा
अपना नया घरौंदा सजाना तो उसे होगा
ना जाने ये कैसी रीत है बनाई
क्यूँ होती है ये बेटीयाँ पराई।। #बेटियाँ #पराई #बाबुल_का_घर 
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