शीर्षक--अतीत आज के इस दौर में मैं कल को याद करता हूं अतीत को खुद के बेहतर बता बस यादें तो संजोया करता हूं क्या होते हैं सब ऐसे ही या मैं ही एक ऐसा हूं सब्र करो कुछ देर रुको समय बताएगा मैं कैसा हूं छोड़ साथ उसने मेरा यह सोचा मुझ में कोई बात नहीं गलतफहमी यह भी पाली शायद है मेरे कोई साथ नहीं ओढ़कर वह भ्रम की चादर आज मुझ पर हंसते हैं पाकर साथ किसी का और तंज मुझ पर कसते हैं समय देखकर जो छोड़ा मुझे, तो समय ही उन्हें बताएगा खोया नहीं है इसने कुछ भी यह कुछ ऐसा कर दिखाएगा जहां मिली कोई चिंगारी से तो आग बन जाएगा जो पर भी काट दोगे इसको तो बिना परों के उड़ जाएगा।। -Siddhesh My life my Dreams