"परीलोक की परी" ================ 'परिकल्पनाओं' से जिसे संजोया था..... 'वास्तविकता' का रूप लेकर आई..... जिसमें उपवन की महक हैं | या मधुर सूर की तान हैं || ================= 'अद्यखिली ' मासूम नन्हा परी आई.... 'परिलोक' से स्वर्ग -सा अहसास लाई..... जिसमें ज्योत्सना -सी सस्पित हैं | तो कहीं चंद्रमा-सी चाँदनी हैं || =================== 'अद्भुत सौन्दर्य ' की निकाली छटा लाई.. 'ऐश्वर्य' से पूर्ण सभी पर छाई... प्रेम की पाती हो | या सीप का मोती हैं || =================== 'प्रेम-स्नेह' की हजारों बहार लाई.... 'बहुमुखी स्वपन' को साकार करने आई... जिसमें सरिता-सी लहर हैं | जो हृदय मे सबके बसेर हैं || ================== परीलोक