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वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम, सवाल यह है ज़माना

वही ज़मीन है वही आसमान वही हम तुम,
सवाल यह है ज़माना बदल गया कैसे।
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की खबर सबसे छुपा ली है।
खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का,
मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी।
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है,
खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है।
पाँवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नजर,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।

©Narender Lawa
  Narendra  Lawa

Narendra Lawa #शायरी

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