Nojoto: Largest Storytelling Platform

कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है वो जो अपना थ

कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है

तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है

(कुर्बत = सामीप्य, नज़दीकी, निकटता) कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है
कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है

तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है

(कुर्बत = सामीप्य, नज़दीकी, निकटता) कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है
brokenboy6934

BROKENBOY

Silver Star
New Creator

कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है