कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है
इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है