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जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो,

जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, 
हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, 
हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, 
हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। 
(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी 
४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो
जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, 
हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, 
हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, 
हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। 
(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी 
४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो