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मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं, मैं हंस-हंस के ज़

मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं,
मैं हंस-हंस के ज़ख्म, सिये जा रहा हूं।

जब हंसते हैं लब तो, बहते हैं आंसू,
मैं अश्कों का अमृत, पिए जा रहा हूं।

मैं कितना हूं तन्हा, ये बताना है मुश्किल,
मैं खुद को ही कंधा, दिए जा रहा हूं।

न ही कोई महफ़िल, न ही कोई रहबर,
मैं खुद से ही बातें, किए जा रहा हूं।

मज़े ज़िंदगी के, लिए जा रहा हूं।।
#teli

©Navash2411
  #नवश