बंधा के जिसने उम्मीदों के पुल हमसे नाता जोड़ा है, करके वादा सफर में चलने का हमको अकेला छोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं, उम्मीद को तोड़ा है। उम्मीद को तोड़ा है।।। हार जाते वो लोग जिन्होंने हमारी हार मानी थी, हार जाऊंगा मैं ये बात कहां मेने जानी थी। क्या पता था हर कदम पर नया रोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं उम्मीद को तोड़ा है उम्मीद को तोड़ा है।।।।।।।।। नज़र से नज़र ना सही, दिल से दिल मिलाए थे। हकीक़त में नहीं मगर, ख्वाबों में में फूल खिलाए थे आज उन फूलों ने दम तोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं, उम्मीद को तोड़ा है। उम्मीद को तोड़ा है।।।।।। ना सूरत देखी थी, ना मुलाकात हुई थी। एक अधेरी रात में, सुबह की किरन दिखआई थी।। उजाले की किरन को, फिर अधेरे की ओर मोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं, उम्मीद को तोड़ा है। उम्मीद को तोड़ा है।।।।।। मिल जाते अगर हम, दुश्मनों के बढ़ जाते गम। मिलके नए विचारों से, बढ़ाते जिंदगी के आगे कदम बढ़ते हुए को पीछे मोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं, उम्मीद को तोड़ा है। उम्मीद को तोड़ा है।।।।।। कुछ उसकी कमी थी कुछ थी मेरी कमियां। खुल के न बातें हुईं हम दोनों के दर्मियां। जितना भी कहूं दोनो के बारे मैं वो थोड़ा है उसने हमारे दिल को नहीं, उम्मीद को तोड़ा है। उम्मीद को तोड़ा है।।।।।। लेखक और कवि। सोनू एस के (Sonu SK) ©SONU #citylight #उम्मीद को तोड़ा है