Nojoto: Largest Storytelling Platform

वस्ल की चाहत न थी फ़िर भी न जानें क्यूॅं ग़म-ए-हि

वस्ल की चाहत न थी फ़िर भी 
न जानें क्यूॅं ग़म-ए-हिज्र से गुज़रते रहें हम।
पोशीदा इस आतिश-ए-मोहब्बत में 
न जाने क्यूॅं ख़ामोशी से जलते रहें हम।

©Sh@kila Niy@z
  #basekkhayaal #basyunhi 
#Dil  #mohabbat 
#nojotohindi 
#Quotes 
#27april