।.........मैं फिर से.......। इन दूरियों को दूर कर,ना दूर होना चाहता हूँ। पहले की तरह फिर से,मजबूर होना चाहता हूँ।। माना कि मोहब्बत में,कुछ गलतियाँ थी मेरी। मैं फिर तेरे इश्क़ में,मशहूर होना चाहता हूँ।। जो छूट ना सकी,तू आदत वो मेरी है। करता रहा हु जो,तू इबादत वो मेरी है।। ना नाम हो किसी का,ना खास कोई हो। मैं पा के तुझे फिर से,मगरूर होना चाहता हु। मैं फिर तेरे इश्क़ में,मशहूर होना चाहता हूँ।। आनन्द की थी सदा तू,आनन्द की हो के रहना। तेरे सिवा ना आनन्द,है अपना किसी को कहना।। था प्यार तेरा आनन्द,था यार तेरा आनन्द। मैं माँग का फिर तेरे,सिंदूर होना चाहता हूँ।। मैं फिर तेरे इश्क़ में,मशहूर होना चाहता हूँ।। ©Anand Singh Paliwal #Ring #Mai #Fir #Sea mau jha