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राधिका छेड़े संवारे सलोने को बांसुरी चुराने को जी च

राधिका छेड़े संवारे सलोने को
बांसुरी चुराने को जी चाहता है।

मोहनी है सूरत मुस्कान प्यारी
नज़र न हटाने को जी चाहता है।

नहीं कोई शिकवा शिकायत करूंगी
अपने दिल मे बिठाने को जी चाहता है।

तुम समझो न समझो मेरी बेकरारी
रागनी बन जाने को जी चाहता है।

अगर तुम न माने ओ मेरे कन्हैया 
बंसुरी न देने को जी चाहता है।

बिछूं राह मे बनके प्यारी चमेली
चरणों में अर्पण को जी चाहता है।

बनवारी हे गोवर्धन धारी मना न करना
प्रेम मे सर्वस्व लुटाने को जी चाहता है।

🙏 लक्ष्मीनरेश 🙏 कृष्ण भक्ति

#StreetNight
राधिका छेड़े संवारे सलोने को
बांसुरी चुराने को जी चाहता है।

मोहनी है सूरत मुस्कान प्यारी
नज़र न हटाने को जी चाहता है।

नहीं कोई शिकवा शिकायत करूंगी
अपने दिल मे बिठाने को जी चाहता है।

तुम समझो न समझो मेरी बेकरारी
रागनी बन जाने को जी चाहता है।

अगर तुम न माने ओ मेरे कन्हैया 
बंसुरी न देने को जी चाहता है।

बिछूं राह मे बनके प्यारी चमेली
चरणों में अर्पण को जी चाहता है।

बनवारी हे गोवर्धन धारी मना न करना
प्रेम मे सर्वस्व लुटाने को जी चाहता है।

🙏 लक्ष्मीनरेश 🙏 कृष्ण भक्ति

#StreetNight