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कुछ कहना है क्या सुनोगे तुम क्या जैसे तुमने मेरे स

कुछ कहना है क्या सुनोगे तुम
क्या जैसे तुमने मेरे साथ ख्वाब बुने वैसे ही उनके साथ भी बुनते हो रात रात भर
क्या उनके भी कन्धे पर सिर रखकर हर दर्द बयाँ कर लेते हो तुम
क्या वो बातें जो किसी से नहीं कहीं तुमने सिवाय मेरे उनसे भी कह लेते हो तुम
क्या वो भी तुम्हारी आँखों में देखकर पढ़ लेते है तुम्हारे मंसूबे को
क्या तुम्हारे ओंठ देखकर वो तुम्हारी प्यास और जबाब समझ जाते है
क्या वो भी मेरे तरह तुम्हारी जुल्फों में अपनी उंगलिया उलझा कर उन्हें सुलझाते है
क्या तुम उतनी ही नादानी से अपनी हर कहानियाँ उन्हें भी सुना दिया करती हो 
कुछ कहना है तुमसे सुन सकोगे क्या?
तुम्हारे साथ इतना अर्से बीते हर लम्हें संजोये है मैंने अपने दिल के अजायबघर में 
दिल का हर वो पन्ना जो फाड़कर फेंक दिया था तुमने उसे सम्भाल कर रखा है मैंने
तुम्हारे हर सवाल जो अक्सर परेसान करते थे उनके जबाब है मेरे पास सुनोगे
बारिश के मौसम में भीगकर जब तुम बीमार होते थे और फिर मुझमें दवा ढूढ़ते थे 
मेरी हर आदत तुम्हारी पसंद हुआ करती अगर बदलूँ तो बिगड़ जाया करते थे
आज बहुत बदल गया हूँ मैं पर कोई खफा नहीं होता
कुछ कहना है एक बार तुमसे सुनोगे क्या??

#अधूरे_एहसास 

#माधवेन्द्र_फैज़ाबादी
कुछ कहना है क्या सुनोगे तुम
क्या जैसे तुमने मेरे साथ ख्वाब बुने वैसे ही उनके साथ भी बुनते हो रात रात भर
क्या उनके भी कन्धे पर सिर रखकर हर दर्द बयाँ कर लेते हो तुम
क्या वो बातें जो किसी से नहीं कहीं तुमने सिवाय मेरे उनसे भी कह लेते हो तुम
क्या वो भी तुम्हारी आँखों में देखकर पढ़ लेते है तुम्हारे मंसूबे को
क्या तुम्हारे ओंठ देखकर वो तुम्हारी प्यास और जबाब समझ जाते है
क्या वो भी मेरे तरह तुम्हारी जुल्फों में अपनी उंगलिया उलझा कर उन्हें सुलझाते है
क्या तुम उतनी ही नादानी से अपनी हर कहानियाँ उन्हें भी सुना दिया करती हो 
कुछ कहना है तुमसे सुन सकोगे क्या?
तुम्हारे साथ इतना अर्से बीते हर लम्हें संजोये है मैंने अपने दिल के अजायबघर में 
दिल का हर वो पन्ना जो फाड़कर फेंक दिया था तुमने उसे सम्भाल कर रखा है मैंने
तुम्हारे हर सवाल जो अक्सर परेसान करते थे उनके जबाब है मेरे पास सुनोगे
बारिश के मौसम में भीगकर जब तुम बीमार होते थे और फिर मुझमें दवा ढूढ़ते थे 
मेरी हर आदत तुम्हारी पसंद हुआ करती अगर बदलूँ तो बिगड़ जाया करते थे
आज बहुत बदल गया हूँ मैं पर कोई खफा नहीं होता
कुछ कहना है एक बार तुमसे सुनोगे क्या??

#अधूरे_एहसास 

#माधवेन्द्र_फैज़ाबादी