भगवान के नाम पर उसे लगातार पीटा जा रहा था। और वो आज भी बेबस और लाचार सा सह रहा था। भलेही उसके एक हाथ विज्ञान की तलवार थी। और दूसरे हाथ में संविधान की ढाल थी। मगर शायद अब ना बाकी उसमें जान थी। या फिर न्याय की उम्मिद और लढने की हिम्मत भी उसकी टूट चूकी थी । हम चाँद पर आज तो पहूँच चूके है। मंगल पे जाने की दौड मे भी हम शामिल है। फिर भी ना जाने क्यों धरम के नाम पे, भगवान के नाम पे आज भी हम उतने ही क्रुर और अंधे है। धर्म ने हमे इन्सानियत और मोहब्बत ही सिखाई है। फिर क्यूँ दिलो मे अपने हमने नफरत की आग जलाई है। इस आग में वो बेचारा अकेला नही है जलनेवाला। क्यो की भगवान धरम के साथ करम का हिसाब है करनेवाला। मेरा धरम मानवता है करम है मेरा जीओ जीने देना। तू अब तेरा देख किसी को बेवजह मार के , या धूतकार के तू कौनसा सिंहासन है पानेवाला? #WithoutCaption #ShilpaSalve358