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दिनांक ९/८/२०१९ fbशीर्षक साहित्य परिषद अधूरे ख्वा

दिनांक ९/८/२०१९ fbशीर्षक साहित्य परिषद

अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।

अनू बोली बहन‌ ये जो किस्मत है ना बहुत रंग दिखाती है, पिता जी आर्मी में थे, और अच्छी भली ज़िन्दगी थी हमारी । तीन बहनें थीं हम ‌।पापा की पोस्टिंग हुई और बार्डर पर ड्यूटी लग गई।
और एक दिन अचानक हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए।
उनके बाद मामा लोग मां को कहने लगे अनु के हाथ जल्दी से पीले करदो तुम्हारी जिम्मेदारी बड़ी है।
और अनु बीस वर्ष की हो गई है बालिग भी है।

मां ने मजबूर सी आंखों से मुझे देखा और मैं भी मां का दर्द और मजबूरी समझ गई।
और मैंने भी कुछ नहीं कहा, कहती भी क्या ?उस समय मां की मजबूरी से बहुत छोटा था मेरा ख्वाब या यूं कहूं मेरे अधूरे ख्वाब।
अश्रू धारा दोनों की आंखों से बह रही थी,और अंजू अनू को हौंसला देकर अनु को चुप करवा रही थी।

कौशल बंधना पंजाबी।(स्वरचित)
11/feb/2020 दिनांक ९/८/२०१९एफ भी पर
अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।
दिनांक ९/८/२०१९ fbशीर्षक साहित्य परिषद

अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।

अनू बोली बहन‌ ये जो किस्मत है ना बहुत रंग दिखाती है, पिता जी आर्मी में थे, और अच्छी भली ज़िन्दगी थी हमारी । तीन बहनें थीं हम ‌।पापा की पोस्टिंग हुई और बार्डर पर ड्यूटी लग गई।
और एक दिन अचानक हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए।
उनके बाद मामा लोग मां को कहने लगे अनु के हाथ जल्दी से पीले करदो तुम्हारी जिम्मेदारी बड़ी है।
और अनु बीस वर्ष की हो गई है बालिग भी है।

मां ने मजबूर सी आंखों से मुझे देखा और मैं भी मां का दर्द और मजबूरी समझ गई।
और मैंने भी कुछ नहीं कहा, कहती भी क्या ?उस समय मां की मजबूरी से बहुत छोटा था मेरा ख्वाब या यूं कहूं मेरे अधूरे ख्वाब।
अश्रू धारा दोनों की आंखों से बह रही थी,और अंजू अनू को हौंसला देकर अनु को चुप करवा रही थी।

कौशल बंधना पंजाबी।(स्वरचित)
11/feb/2020 दिनांक ९/८/२०१९एफ भी पर
अधूरे ख्वाब।

वकील बनूंगी बड़े बड़े केस हाथ में लूंगी अपने पापा का नाम रोशन करूंगी,अंजू ने गांव की मुंह बोली भाभी अनु के पूछने पर जवाब दिया कि बहुत पढ़ लिख कर क्या बनना चाहती हो।

अनु एकदम बोल उठी गहरी सांस लेकर के हाय री किस्मत सपने हर कोई देखता मैं ने भी देखें थे । अंजू ने हिचकिचाते हुए धीरे से पूछा भाभी क्या बनना चाहती थीं आप?

अनु बोली आई ए एस आफिसर बनने की इच्छा थी ,अंजू ने बीच में ही टोका तो फिर ऐसा क्या हुआ जो नहीं बन पाईं ।