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कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है। गुस्

कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है।
गुस्से में बादल तीन महीने से, 
गर्मी के घर नही आई है।
गर्मी गर्म से बहुत परेशान है।
गुस्से से बादल को उसने मनाया नही ,
आखिर अहम जो बलवान है।
रोज देखता है बड़ी आस से गर्मी,
आसमान की तरफ, 
बादल दरवाजे से अभी अंदर आयेगी।
खुद ही  तो गई थी , खुद ही आ जायेगी।
बादल भी गर्मी के बिना बड़ी बेचैन है
जब तड़पता है ह्रदय उसका, तो रो पड़ते नैन है।
तभी बारिश बन कर धरती पर आँसू आ गिरते है ।
जुलाई का महीना ही तो है ,
जब गर्मी और बारिश विरह के बाद गले मिलते है।
गर्मी फिर बादल को मनाता है
बादल के लिए एक गाना गाता है
अँखियाँ तरस गईं 
बूँदन को
कब जागेंगे भाग हमारे 
ओ बदरा प्यारे।
✍️रिंकी 


 कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है
गुस्से में बादल तीन महीने से गर्मी के घर नही आई है
गर्मी गर्म से बहुत परेशान है
गुस्से से बादल को उसने मनाया नही 
आखिर अहम जो बलबान है
रोज देखता है बड़ी आस से गर्मी, आसमान की तरफ ,
दरबाजे से वो बारिश बनकर अभी आयेगी
खुद ही  तो गई थी , खुद ही आ जायेगी
कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है।
गुस्से में बादल तीन महीने से, 
गर्मी के घर नही आई है।
गर्मी गर्म से बहुत परेशान है।
गुस्से से बादल को उसने मनाया नही ,
आखिर अहम जो बलवान है।
रोज देखता है बड़ी आस से गर्मी,
आसमान की तरफ, 
बादल दरवाजे से अभी अंदर आयेगी।
खुद ही  तो गई थी , खुद ही आ जायेगी।
बादल भी गर्मी के बिना बड़ी बेचैन है
जब तड़पता है ह्रदय उसका, तो रो पड़ते नैन है।
तभी बारिश बन कर धरती पर आँसू आ गिरते है ।
जुलाई का महीना ही तो है ,
जब गर्मी और बारिश विरह के बाद गले मिलते है।
गर्मी फिर बादल को मनाता है
बादल के लिए एक गाना गाता है
अँखियाँ तरस गईं 
बूँदन को
कब जागेंगे भाग हमारे 
ओ बदरा प्यारे।
✍️रिंकी 


 कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है
गुस्से में बादल तीन महीने से गर्मी के घर नही आई है
गर्मी गर्म से बहुत परेशान है
गुस्से से बादल को उसने मनाया नही 
आखिर अहम जो बलबान है
रोज देखता है बड़ी आस से गर्मी, आसमान की तरफ ,
दरबाजे से वो बारिश बनकर अभी आयेगी
खुद ही  तो गई थी , खुद ही आ जायेगी

कुछ दिनों से बादल की गर्मी से चल रही लड़ाई है गुस्से में बादल तीन महीने से गर्मी के घर नही आई है गर्मी गर्म से बहुत परेशान है गुस्से से बादल को उसने मनाया नही आखिर अहम जो बलबान है रोज देखता है बड़ी आस से गर्मी, आसमान की तरफ , दरबाजे से वो बारिश बनकर अभी आयेगी खुद ही तो गई थी , खुद ही आ जायेगी #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #ओबदरा