स्वर्ण मृग की कभी मांग उठाना मत सीता की तरह मैं राम नहीं हूं इतना भर याद रखना चढ़ेगा फांसी पर आज एक और यीशु तुम उसकी इबादत क़ेलीए खुद को तैयार रखना मुँह खोलने की न कोशिश करना न हिम्मत करना ईनाम मे सजाये मौत को फरमान हो सकता है याद रखना हर क्रांति का एकदिन सुखद परिंणाम होता जरूर है हर सुबह की शाम भी उसी दिन होंगी ये भी याद रखना जिंदगी मुफलिसी की सग्गी नहीं सौतली बहन है हर दुख सुख मे यही साथ निभाती भी है याद रखना ©Parasram Arora याद रखना