इस क़दर ज़माने के रंग रंगीं आहें मेरी, पलकों में दफ़्न हुई निगाहें मेरी, मरहम लगाने वालों ने उधार दिया रहम, चुपचाप चुरा ले गए दुआएं मेरी। रविकुमार इस क़दर ज़माने के रंग रंगीं आहें मेरी, पलकों में दफ़्न हुई निगाहें मेरी, मरहम लगाने वालों ने उधार दिया रहम, चुपचाप चुरा ले गए दुआएं मेरी। रविकुमार