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ज़िन्दगी मेरी खुली किताब सी थी, चलती कलम थी बिगड़त

ज़िन्दगी मेरी खुली किताब सी थी,
चलती कलम थी बिगड़ता मेरा पन्ना था,
आज रद्दी हो चुका हूं,
ना कोई खरीद रहा ना बेच रहा........



-BADSHAHHP #badshahHP 

#reading
ज़िन्दगी मेरी खुली किताब सी थी,
चलती कलम थी बिगड़ता मेरा पन्ना था,
आज रद्दी हो चुका हूं,
ना कोई खरीद रहा ना बेच रहा........



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