विचार (दोहे) मन में उठे विचार हैं, क्यों करते हैं क्रोध। पीड़ा खुद को दे रहे, हो कैसे ये बोध।। नहीं जरूरी हो कभी, आपस में ये द्वेष। पहने नकाब फिर रहे, बदलें अपना भेष।। हैं विचार उठते कभी, होता मन में द्वंद। क्या है जिससे लड़ रहे, क्यों मति होती बंद।। प्रेम भाव से सब रहें, हो क्यों व्यर्थ विलाप। सबके मन को मोहता, सुंदर यही अलाप।। जिसके हिय में प्रेम हो, करते कर्म महान। सबके मन में वह बसे, सभी करें गुणगान।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #विचार #nojotohindi विचार (दोहे) मन में उठे विचार हैं, क्यों करते हैं क्रोध। पीड़ा खुद को दे रहे, हो कैसे ये बोध।। नहीं जरूरी हो कभी, आपस में ये द्वेष।