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अब फेसबुक और सोशल मीडिया का दौर है छोटे ,बड़े हर उप

अब फेसबुक और सोशल मीडिया का दौर है
छोटे ,बड़े हर उपन्यासकार का भरपूर शोर है
आज शेक्सपियर के बारे में बात करना शान है
मगर हम सब मुंशी प्रेमचंद से कुछ अनजान है
शायद  नाम सब  ने सुना है, मगर पढ़ा नहीं है 
मगर  उन  जैसा  कोई कहानीकार बड़ा नहीं है
शब्दों से जिनकी मिट्टी की सौंधी खुशबू आती है
कहानियां जो अक्सर आँखों को नम कर जाती है
न तिलिस्म इनमें और न ही राजनैतिक षड्यंत्र है
उन कहानियों में बस मानव संवेदनाओं का तंत्र है
हैरी पॉटर के नए एडीशन को शान से घर में सजाना
मगर "मानसरोवर" की कहानियाँ भी सब को बताना
कभी समय निकाल "गोदान" के पन्ने तुम पलटना
"पूस की रात" में तुम जाड़े की धूप संग मचलना
उन कहानियों से तुम खुद को जुड़ा हुआ पाओगे
स्वाद  उन  लफ़्ज़ों  का  फिर  तुम भुला न पाओगे #मुंशीप्रेमचंदजयंती 

जिस साहित्य में हमारी रुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हम में गति और शांति पैदा न हो, हमारा सौन्दर्य प्रेम न जागृ्त हो, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृढ़ता उत्पन्न न करे, वह आज हमारे लिए बेकार है। वह साह‍ित्य कहलाने का अधिकारी नहीं।

- मुंशी प्रेमचंद

 भारतीय उपन्यास सम्राट की जयंती पे
अब फेसबुक और सोशल मीडिया का दौर है
छोटे ,बड़े हर उपन्यासकार का भरपूर शोर है
आज शेक्सपियर के बारे में बात करना शान है
मगर हम सब मुंशी प्रेमचंद से कुछ अनजान है
शायद  नाम सब  ने सुना है, मगर पढ़ा नहीं है 
मगर  उन  जैसा  कोई कहानीकार बड़ा नहीं है
शब्दों से जिनकी मिट्टी की सौंधी खुशबू आती है
कहानियां जो अक्सर आँखों को नम कर जाती है
न तिलिस्म इनमें और न ही राजनैतिक षड्यंत्र है
उन कहानियों में बस मानव संवेदनाओं का तंत्र है
हैरी पॉटर के नए एडीशन को शान से घर में सजाना
मगर "मानसरोवर" की कहानियाँ भी सब को बताना
कभी समय निकाल "गोदान" के पन्ने तुम पलटना
"पूस की रात" में तुम जाड़े की धूप संग मचलना
उन कहानियों से तुम खुद को जुड़ा हुआ पाओगे
स्वाद  उन  लफ़्ज़ों  का  फिर  तुम भुला न पाओगे #मुंशीप्रेमचंदजयंती 

जिस साहित्य में हमारी रुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हम में गति और शांति पैदा न हो, हमारा सौन्दर्य प्रेम न जागृ्त हो, जो हममें सच्चा संकल्प और कठिनाइयों पर विजय पाने की सच्ची दृढ़ता उत्पन्न न करे, वह आज हमारे लिए बेकार है। वह साह‍ित्य कहलाने का अधिकारी नहीं।

- मुंशी प्रेमचंद

 भारतीय उपन्यास सम्राट की जयंती पे
vishalvaid9376

Vishal Vaid

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