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इस भरी अंधकार में जुगनू बन बैठी हू हरेक दिन प्रका

इस भरी अंधकार में  जुगनू बन बैठी हू हरेक दिन प्रकाश    के तलाश में दिए को ढूंढती रहती हू .कब खत्म करेगा ये दमन  जमाना  हमारा मैं भी इस भरी महफिल में सिमट बन बैठी हु.सिमट बन बैठी हु... छोटी सी उमर हमारी  इन छोटे से आंखों में बड़े सपनो की लाली  मगर  इस भीड़ के लिए आज मैं  दुल्हन बन बैठी हूं  ..
.. दुल्हन बन बैठी हूं . क्या गलती थी   हमारी ना कोई जुर्म फिर  भी सजा भारी . लेकिन अब मैं न रुकुगी इस भरी अंधकार में रौशनी बीखरूगी...  इस भरी अंधकार में रौशनी बीखरूगी . सचाइयो से लड़ के मैं  भी आज जीतने लगी हू.क्युकी इस भरी अंधकार में  जुगनू बन बैठी हू हरेक दिन प्रकाश    के तलाश में दिए को ढूंढती रहती हू .

©Amrit Kumar
  #lonely daughter the power
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Amrit Kumar

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#lonely daughter the power

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