विडंबना सत्य की है यही कि असत्य सत्य पर भारी है और कलयुग की है रीत यही कि असत्य के सब आभारी हैं दुराचारी और पापाचारी ही असत्य के भरपूर पुजारी हैं जो हैं सत्य के पुजारी भी वे भी हो रहे अहंकारी हैं चाह है सबकी सबसे यही कि सत्य से वे अवगत रहें स्वयं न पल्ला छोड़ें कभी कि असत्य से वे लिपटे रहें विडंबना सत्य की है यही उसी का हुआ उपहास है असत्य ने बजाई है ताली उसी का हुआ विस्तार है पृथ्वी भय से काँप रही कर रही वह विलाप है हे प्रभु अब बचाओ भी तुमसे ही सबको आस है .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #विडंबना_सत्य_की #nojotohindi # Divya Joshi Adv Rakesh Kumar Soni Manak desai Harlal Mahato Sandip rohilla