मुझे बाहर निकलना है (अनुशीर्षक में पढ़ें)— % & मुझे बाहर निकलना है ख़ुद के बनाए पिंजरे में मैंने कैद कर रखा था ख़ुद को दिन के उजियारे में भी रात का आभास होता था मुझको अंधेरा था इतना गहन मेरे अन्दर