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कविता - वीर सैनिक रचियता- आशा खन्ना ऋणी रहेगा



कविता - वीर सैनिक 
रचियता- आशा खन्ना


ऋणी रहेगा ये देश तुम्हारा
नहीं भूला सकेंगे उपकार तुम्हारा
तुम अपनी मां के राज दुलारे हो
पिता के बूढ़े कान्घो के सहारे हो
पत्नी के हाथो की मेहन्दी 
बहना की थाली की ज्योति
जीवन समय सम्पर्ण अनमोल तुम्हारा 
नहीं भूला सकेंगे उपकार तुम्हा टीवीरा
धरती का सीना फटता है
माटी का कण-कण रोता है
जब एक सपूत शहीद होता है
सिहर उठे तिरंगे में लिपटा जब बदन तुम्हारा 
नहीं भूला सकेंगे उपकार तुम्हारा
जाति मजहब ने आडे आता
देश धर्म कर्त्तव्य ही तुमको भाता 
हर मौसम करता श्रृंगार तुम्हारा
नही भूला सकेंगे उपकार तुम्हारा
जिसने ऐसे लाल दिये
जो देश पर कुर्बान हुए 
जिनके दम पर देश आजाद हमारा
नहीं भूला सकेंगे उपकार तुम्हारा

©Nature Lover Asha Khanna 
  #RepublicDay वीर सैनिक

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