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मैंने कभी यह ख्याल नही किया न ही कभी सोचा है कि

मैंने कभी यह ख्याल  नही किया
न ही  कभी  सोचा है
कि जिस  आईने के  सामने मै
खड़ा हू  वो आइना  मुझे पहचानता भी
है  और कभी कभी  वो  हँसता भी
है मेरी   आदमकद शख्सियत देख कर
क्योंकि कई बार  मैंने उसके सानने खड़े  होकर  मुँह अपना  बिचकाया है

©Parasram Arora
  आइना

आइना #कविता

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