कहीं खोया सा मैं एक शहर में,
अनचाही धुंध सा,
कहीं वक्त की राख बन, कहीं सुलगता खाक बन,
जर्रा-जर्रा चमकता कांच सा, कहीं उगता कहीं छुपता सांझ सा,
वक्त से आगे निकलने की होड़ में, खुद में दौड़ता दौड़ सा,
कहीं खोया सा मैं एक शहर में शहर सा...
रास्तों पर मंजिल की खोज में, बहता उफनाती नदी सा हर मोड़ में, #Life#Family#Home#City#Jindagi#ehsaas#khwaab#misssingyou