कितने अज़ीब हमारे हाथों की लकीरें और भाग्य के सितारें हैं हम आपके होकर भी आपके नहीं और आप न होकर भी हमारे हैं राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ हाथों की लकीरें