मैंने सीखा सूरज से,रोज़ एक नई शुरुआत करना. चाहे जैसे गुज़रे दिन,नई किरण तराशना. मैंने सीखा हवाओँ से,निरंतर चलना कभी न रुकना. चाहें जो हो हालात,बिल्कुल न थमना हमेशा बहते रहना. यह प्रतियोगिता संख्या -30 है आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है। 💐💐 🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक