अब तो, अपने बेगाने नज़र आने लगे हैं, बातों से अपनी वो कहर ढाने लगे हैं, हांथों को अपने हटाने लगे हैं, कह ना दूँ कुछ, दूर हमसे वो जाने लगे हैं, अब तो, जिंदगी के दिन जैसे गिनाने लगे हैं, चार दिन की जिंदगानी बताने लगे हैं, साथ ना देंगे आखिर तक, ये हमसे जताने लगे हैं, इसलिए रूठकर दूर हमसे वो जाने लगे हैं, अब तो, दिन में भी तारे नज़र आने लगे हैं, उजालों में भी अँधेरे डराने लगे हैं, हल्की सी आहट से भी सहम जाने लगे हैं, छोटी सी बात भी दिल से लगाने लगे हैं, अब तो, बीती बातों को भुलाने लगें हैं, दूरियाँ दिल की लोगों से बढ़ाने लगे हैं, खुद की खुद से पहचान कराने लगे हैं, दूर जाने वालों से बहुत दूर जाने लगे हैं, अब तो, भूलकर हम भी सबको, मुस्कुराने लगे हैं, अकेले - अकेले ही गुनगुनाने लगे हैं, संभाल के खुद को बदलाव लाने लगे हैं, ये जिंदगी है जिंदगी खुद को समझाने लगे हैं............................ लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #अब तो, अपने बेगाने नज़र आने लगे हैं, बातों से अपनी वो कहर ढाने लगे हैं, हांथों को अपने हटाने लगे हैं, कह ना दूँ कुछ, दूर हमसे वो जाने लगे हैं, अब तो, जिंदगी के दिन जैसे गिनाने लगे हैं,