मैं स्त्री इक वरदान चाहूँ ऐ ख़ुदा मैं स्त्री इक वरदान चाहूँ अगले जन्म न पक्षपात चाहूँ स्त्री की कलाई में पुरुष बाहु सा बल भर देना स्त्री के जांघों में भी मर्दों सी ताकत भर देना देह मेरे नर सी शक्ति, सीने में पुरुष सा ज़ोर भर देना कंधा मेरा भी बलिष्ठ बनाना पैरों में अपनी भी उतनी हीं शक्ति भर देना बस हृदय मेरा इक औरत का हीं देना ।। राone@उल्फ़त-ए-जिन्दगी मैं स्त्री इक वरदान चाहूँ